साधकों आप ऐसे कई लोगो के बारे में सुना होंगा जिन्हे परमसत्य की प्राप्ति हुई है, और ऐसे कई लोग भी देखे होंगे जो सत्य का ज्ञान पाना चाहते है और सत्संग आदि के लिए समय देते है तथा धार्मिक किताबे पढ़ते है।
लेकिन इनमें चंद लोगो को ही जीवन परम ज्ञान या परम् सत्य की प्राप्ति होती है। जो इस भौतिक संसार से परे सत्य है इसे हम परमज्ञान भी कह सकते है क्यों की सत्य का ज्ञान पाने के बाद आपको आपके जीवन में किसी ज्ञान को पाने की आवश्कता नहीं है।
सभी धार्मिक संप्रदाय में सत्य को ईश्वर, मोक्ष, परमज्ञान आदि नामो से जाना जाता है। और इसी परम ज्ञान पर हम इस लेख में चर्चा करेंगे Satya Kya Hai और Satya Ki Prapti Ke Upay
Satya Kya Hai – सत्य क्या है।
अगर हम बात कर सत्य की तो यहां दो सत्य हो सकते है पहला इस दुनिया का सत्य और दूसरा परमसत्य, इस भौतिक संसार के ज्ञान को जानने के लिए आपको प्रकृति ने यह मानव शरीर दिया है जिसे आप में या मेरा से संबोधित करते है।
लेकिन अध्यात्म में सत्य को ही परमसत्य कहा जाता है अगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखे तो आपका अपना कुछ भी नही है सब कुछ वह परमात्मा ही है जिसने यह शरीर को किसी वस्त्र की तरह धारण किया है। एक ही परमात्मा सभी जीवों को धारण करता है।
आप आपके जीवन में जो भी इच्छाएं करते है जो भी प्राप्त करना चाहते है वह सब आपके इस भौतिक शरीर के लिए ही होती है क्योंकि परमात्मा न तो कोई इच्छा रखता है और नही कोई कर्म इसे बांधते है।
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परमज्ञान कैसे प्राप्त करें – Satya Ki Prapti Ke Upay
परम् ज्ञान की प्राप्ति करने के लिए आपको अध्यात्म ने उतरने की आवश्कता है श्रीमद भगवद्गीता में जीवात्मा के स्वरूप को जानना ही अध्यात्म कहा गया है।
परमज्ञान या सत्य का ज्ञान कोई किताबी ज्ञान नहीं है जिसे आप पढ़कर जान सकते है यह केवल इतना है की आप जिसे “मैं” से जानते है वह असत्य है, सत्य तो केवल परमात्मा है। इस परमात्मा को आप ध्यान में अपने ही अंदर अनुभव करते है।
परमज्ञान या जिसे हम आत्मज्ञान कहते है इसे पाने के लिए आपको आपके सारे कर्म को एवम उनको फलों त्यागने की आवश्कता आन पड़ती है ऐसा नहीं की आप सब कुछ छोड़ दे बस आपको इसे भूलने की आदत डालनी होंगी, जो लोग मोह और माया के अधीन हो चुके है उनके लिए यह करना मुश्किल हो सकता है।
परम् ज्ञान या परम सत्य तक पहुंचने के लिएं आपको आपकी जीवन की सारी इच्छाएं त्यागने की आवश्कता होती हैं। या यदि आप एक निष्काम कर्मयोगी की तरह कृष्णभावनामृत रहने है तो परम ज्ञान पाना आपके लिए आसान हो सकता है।
जब आपको परम ज्ञान प्राप्त होता है तो आपको थोड़ा डर लग सकता है क्योंकि अपने सारी दुनिया को और “मैं” भुला दिया है और आपको परम ज्ञान होते समय मृत्यु का भय हो सकता है। लेकिन अपने सिर्फ परमज्ञान पाया है या सत्य की अनुभूति की है थोड़ी देर समाधि में रहकर आप पुनः इस भौतिक जगत में आयेंगे।
आपको परम ज्ञान पाने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन अपने निर्णय कर लिया है तो आप प्रभु की कृपा और गुरु के आशीर्वाद से जल्द ही परम ज्ञान पा लेंगे।